Editorial: सुखबीर बादल पर हमला गंभीर मामला, गहन जांच का विषय
- By Habib --
- Thursday, 05 Dec, 2024
Attack on Sukhbir Badal is a serious matter
Attack on Sukhbir Badal is a serious matter, subject of thorough investigation: सिखों के पवित्र स्थल हरमंदिर साहिब में शिअद के प्रमुख और पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल पर गोली चलना बेहद गंभीर और चिंताजनक मामला है। सुखबीर बादल और दूसरे अकाली नेता आजकल अपनी धार्मिक सजा को भुगत रहे हैं। पूर्व डिप्टी सीएम के पैर में चोट भी लगी है, जिसकी वजह से वे व्हील चेयर पर रहते हुए ही अपनी सजा का निर्वाह कर रहे हैं। यह मामला पंजाब की सियासत में गर्मी ला चुका है। निश्चित रूप से यह मामला गहन जांच का विषय है, क्योंकि बादल परिवार हमेशा से आतंकियों के निशाने पर रहा है और इस समय भी परिवार एवं शिअद के अन्य नेताओं पर हमले की आशंका खत्म नहीं हुई है।
हमले के आरोपी को पुलिस ने मौके पर ही दबोच लिया, हालांकि इस दौरान राज्य पुलिस बल की सतर्कता भी काम आई। लेकिन हमलावर की उम्र और उसकी बॉडी लैंग्वेज कहीं से भी ऐसी नहीं लग रही है कि वह वास्तव में कोई घातक वारदात करने की मंशा से वहां पहुंचा था। उसका कारनामा एक फितुर जैसा लगता है, जिसमें सिरफिरे अंदाज में वह अपनी पेंट की जेब से पिस्तौल निकालता है और व्हील चेयर पर बैठे सुखबीर बादल की ओर गोली दागता है। लेकिन इसी दौरान उनकी सुरक्षा में खड़ा पुलिस कर्मी हमलावर के हाथ को पकड़ कर उसे ऊपर की ओर कर देता है, जिससे यह मिसफायर हो जाता है।
बेशक, संभव है कि बादल अगर हरमंदिर साहिब से बाहर होते तो यह हमला और सटीक हो सकता था। पुलिस के आलाधिकारियों का कहना है कि इस एंगल से भी जांच की जाएगी कि कहीं सहानुभूति हासिल करने के लिए तो यह हमला नहीं करवाया गया। हालांकि फिर हमलावर नरैन सिंह चौड़ा की हिस्ट्री रही है कि वह बादल परिवार के प्रति सार्वजनिक टिप्पणी करता रहा है। उसका यह भी कहना है कि बादल परिवार की वजह से सिख पंथ को नुकसान पहुंचा है। यानी वह बहुत पहले से मन में इसकी रंजिश रखे हुए था और अब उसने इस रंजिश को अंजाम देने की सोची जब बादल एवं अन्य शिअद नेता धार्मिक सजा को भुगत रहे हैं। यह भी अचरज की बात है कि आरोपी चौड़ा इस वारदात को अंजाम देने के बाद काफी रिलैक्स नजर आ रहा था और हंस रहा था। जाहिर है, उसकी योजना बादल को किसी न किसी तरह से नुकसान पहुंचाने की थी। यह संभव है कि अगर गोली बादल को लगती तो उनके साथ कुछ भी अनुचित घट सकता था, लेकिन पुलिस की सतर्कता काम आई।
गौरतलब है कि इस मामले के बाद पंजाब की सियासत में तीन धड़े बन गए हैं। एक धड़ा अकाली दल का है, जिसने बादल परिवार की जान को खतरे की आशंका के बीच सरकार पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है, बादल परिवार का कहना है कि जिस पुलिस कर्मी ने सुखबीर बादल की जान बचाई वह बरसों से उनकी सुरक्षा में तैनात है और बीते दिनों उसने खुद कहकर अपनी ड्यूटी बादल की सुरक्षा में लगवाई थी। शिअद नेताओं का यह भी कहना है कि पंजाब सरकार का दावा है कि 200 के करीब पुलिस कर्मियों को वहां तैनात किया गया है, लेकिन आरोपी हमलावर बीते दो-तीन दिनों से वहां रैकी कर रहा था, तब वह कैसे बच गया। वहीं उसके साथ एक और आरोपी भी, जिसे वहां तैनात एसजीपीसी की टास्क फोर्स ने पकड़ा था।
शिअद और अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि राज्य में कानून और व्यवस्था संकट में है। हालांकि पंजाब सरकार और आम आदमी पार्टी ने इस हमले पर सफाई दी है कि पुलिस की मुस्तैदी से ही हमलावर सफल नहीं हो सका। मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि डीजीपी को मामले की गहराई से जांच के आदेश दिए हैं, वहीं आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल का कहना है कि बादल की जान बचाकर पंजाब पुलिस ने मिसाल कायम की है।
निश्चित रूप से यह मामला बेहद राजनीतिक है। इसमें सभी पक्षों के बयान अपने-अपने फायदे के लिए हैं। लेकिन यह जरूरी है कि बादल परिवार की सुरक्षा की समीक्षा हो। आखिर एक राजनीतिक परिवार जिसने बरसों तक राज्य की सियासत में अहम भूमिका अदा की है, उस पर हमले की साजिश रची जा सकती है। यह भी तो स्वीकार्य होना चाहिए कि बादल एवं शिअद के अन्य नेता सहज भाव से अपनी सजा भुगत रहे हैं। इससे ज्यादा बड़ी बात और क्या हो सकती है।
पंथ को क्षमादान देने की जरूरत पर भी विचार करना चाहिए। कोई भी पंथ तभी और फलता है, जब उसमें अपनी और दूसरों की कमियों को अंगीकार करने की चेतना उत्पन्न होती है। राज्य बरसों तक आतंकवाद की तपिश झेल चुका है और अब जब यह शांति की राह पर है, तब इस प्रकार के कृत्य राज्य के माहौल को ही खराब करेंगे। पंजाब की सुरक्षा सर्वोपरि है, इसी के तहत जनता आती है और जनता में सभी खास और आम शामिल हैं।
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